सोमवार, 25 सितंबर 2017

कश्मीर: भारत का अविभाज्य अंग है।

जिस कश्मीर के बारे में मुगलिया बेगम कह उठी थी कि धरती पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यहीं है,यहीं है, आज वह कुछ ऐतिहासिक भूलों के कारण खूनी आंसू बहा रहा है।
26 अक्टूबर 1947 को विधिवत रूप से कश्मीर के भारत में विलय के बावजूद भारत के अतिरिक्त अवैध रूप से कश्मीर पर चीन एवं पाकिस्तान का भी कब्जा है।जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, तो "पाक अधिक्रान्त जम्मू एवं कश्मीर"(पी ओ जे के) और गिलगित बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। अक्साईचिन पर चीन का अवैध कब्जा है। पाकिस्तान द्वारा अधिक्रान्त जम्मू कश्मीर में मुख्यतः मीरपुर,मुजफ्फराबाद और गिलगिट-बाल्टिस्तान का क्षेत्र आता है जिसे कुटिल रणनीति के तहत पाकिस्तान द्वारा दो हिस्सों में बांट दिया गया है।उत्तरी क्षेत्र-गिलगिट बाल्टिस्तान एवं कथित आज़ाद कश्मीर जिसमे मीरपुर और मुजफ्फराबाद का क्षेत्र शामिल है जहां के नागरिक परतंत्र एवं पाशविक जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
पाक अधिक्रान्त जम्मू एवं काश्मीर"(पी ओ जे के) का कुल क्षेत्रफल लगभग 13 हजार वर्ग किलोमीटर है एवं जनसँख्या लगभग 30 लाख हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अक्साई चिन शामिल नहीं है। यह क्षेत्र महाराजा हरिसिंह के समय में कश्मीर का हिस्सा था लेकिन 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद कश्मीर के उत्तर-पूर्व में चीन से सटे क्षेत्र अक्साई चिन पर चीन ने बलात कब्जा कर लिया। भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा में पाक अधिक्रान्त जम्मू एवं कश्मीर (पीओजेके) के लिए 25 सीटें और संसद में 7 सीटें सुरक्षित रखी हुई हैं।
इस अनाधिकृत जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान फॉक्स-पालिसी (लोमड़ी-नीति) का अनुसरण कर रहा है। एक और तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है तो दूसरी ओर यहां के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल करके यहां के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने में लगा है। पाकिस्तान ने यहां पर बाहरी लोगों को बसाकर क्षेत्र के जनांकिय संतुलन को बिगाड़ने का कोई अवसर नही गंवाया है। यहां का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है।
49 सीटों वाली पीओजेके विधानसभा के लिए 1974 से ही वहाँ छद्म चुनाव कराए जा रहे हैं और दिखावे के लिए प्रधानमंत्री भी चुना जाता है। जिसे दुनिया का कोई भी देश मान्यता नही देता है।
पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर के रुप मे प्रचारित करता है जबकि पाकिस्तान पर पीओजेके की निर्भरता, किसी से छुपी हुई नहीं है। गिलगिट व बाल्टिस्तान को पहले पाकिस्तान में उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था और जिसका प्रशासन संघीय सरकार के अंतर्गत एक मंत्रालय चलाता था।  2009 में पाकिस्तान की संघीय सरकार ने यहां एक स्वायत्त प्रांतीय व्यवस्था प्रारम्भ कर दी जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री सरकार चलाता है। यहाँ छद्म रूप से चयनित 24 लोंगो की परिषद है जिसके पास कोई विशेष अधिकार नही है।
विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तान अपना पांचवां प्रांत घोषित करने का षड्यंत्र कर रहा है। पाकिस्तान यह कदम चीन को खुश करने के लिए उठाना चाहता है क्योंकि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यहां से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति में किसी भी प्रकार का बदलाव भारत के लिए सहनीय नही है क्योंकि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा है।
खुद यहां की जनता पाकिस्तान की इस सोच के विरोध में सड़कों पर उतर आई है।
शिया बाहुल्य इस क्षेत्र में पाकिस्तानी फौज आये दिन बर्बरता पूर्वक अत्याचार करती है।शिया आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।यहाँ से अनेक लोग पाकिस्तानी अत्याचारों से पीड़ित होकर जम्मू एवं कश्मीर में आकर बस गए हैं और अभी भी उनका आना जारी है।
पीओजेके, मूल कश्मीर का वह भाग है, जिसे पाकिस्तान ने 1947 में आक्रमण करके हथिया लिया था। भारत और पाकिस्तान के बीच यही विवादित क्षेत्र है। इसकी सीमाएं पाकिस्तानी पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में, उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग उयघूर स्वायत्त क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं। इस क्षेत्र के पूर्व कश्मीर राज्य के कुछ भाग, ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट को पाकिस्तान द्वारा चीन को अवैध रुप से उपहार में दे दिया गया था व शेष क्षेत्र को दो भागों में बांट दिया गया था: उत्तरी क्षेत्र एवं आजाद कश्मीर। इस विषय पर पाकिस्तान और भारत के बीच 1947 में युद्ध भी हुआ था। भारत द्वारा इस क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.जे.के) कहा जाता है।संयुक्त राष्ट्र सहित अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं,एम.एस.एफ़,एवं रेड क्रॉस द्वारा इस क्षेत्र को पाक-अधिकृत कश्मीर ही कहा जाता है।
      महाराजा हरि सिंह, ने भारत के विलय प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस विलय समझौते के बाद भारत ने पाकिस्तान के कबायली आक्रमण से जम्मू कश्मीर की रक्षा के लिए सेना को घाटी में भेजा था। महाराजा हरि सिंह से हुई संधि के परिणामस्वरूप पूरे कश्मीर राज्य पर भारत का अधिकार स्वयंसिद्ध है। फलतः सम्पूर्ण कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है।
गिल्गित बाल्टिस्तान में काराकोरम राजमार्ग पर हजारों की संख्या में पाषाण-कला एवं पेट्रोग्लिफ के शिलाओं पर उत्कीर्ण कलाकृतियां मिलती हैं। इनमें से अधिकांश कलाकृतियां हुन्ज़ा एवं शातियाल के बीच दस प्रमुख स्थलों में स्थित हैं। ये कलाकृतियां इस मार्ग से निकलने वाले आक्रमणकारियों, व्यापारियों एवं तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय निवासियों द्वारा उत्कीर्ण की गई थी।इनकी अवधि ई.पू. 5000 से ई.पू. 1000 वर्ष के मध्य मानी जाती है।  साधारण पशुओं, तिकोनी मानव आकृतियां हैं, प्रमुख रूप से उत्कीर्ण किये गए हैं। इनमें आखेट के दृश्य हैं, जहां पशुऒं का आकार मनुष्यों से बहुत बड़ा दिखाया गया है। इन कलाकृतियों को पाषाण-उपकरणों द्वारा तराश कर एक मोटी पैटिना की पर्त से ढंक दिया गया था, जिससे इनकी आयु का ज्ञान होता है। इस क्षेत्र के इतिहास की जानकारी पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों से कई शिलालेखों से एकत्रित कर पुरातत्त्ववेत्ता कार्ल जेटमार ने अपनी पुस्तक "रॉक कार्विंग्स एण्ड इन्स्क्रिप्शन्स इन द नॉर्दर्न एरियाज़ ऑफ पाकिस्तान"  में एवं बाद में एक अन्य पुस्तक "बिटवीन गांधार एण्ड द सिल्क रोड्स - रॉक कार्विंग्स अलॉन्ग द काराकोरम हाइवे" में लिखे हैं।
1947 से 1970 के मध्य पाक-अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर का पूर्ण क्षेत्र दिखावे के रूप में प्रशासित होता रहा। इसके अतिरिक्त हुन्ज़ा-गिलगित के एक भाग, रक्सम एवं बाल्टिस्तान की शक्स्गम घाटी क्षेत्र को, पाकिस्तान द्वारा 1963 में चीन को अवैध रूप से सौंप दिया गया था। इस क्षेत्र को सीडेड एरिया या ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट कहते हैं।
1970 के बाद पाक अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर को पाकिस्तान ने दो भागों में बांटा दिया ताकि विवाद निपटान की स्थिति में उसे कुछ न कुछ हिस्सा प्राप्त हो सके।
1-कथित आजाद कश्मीर
2-उत्तरी क्षेत्र।
गिल्गित क्षेत्र महाराजा हरिसिंह द्वारा ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिया गया था। बाल्टिस्तान लद्दाख का पश्चिम हिस्सा था, जिस पर पाकिस्तान ने 1948 में ही बलात कब्जा कर लिया था। ये क्षेत्र विवादित जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र का भाग है।
अक्साई चिन
अक्साई चिन नामक क्षेत्र जो पूर्व जम्मू एवं कश्मीर राज्य का भाग था, पाक अधिकृत कश्मीर में नहीं आता है। ये 1962 में चीन ने हड़प लिया था। जम्मू एवं कश्मीर को अक्साई चिन क्षेत्र से अलग करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा कहलाती है।
1947 में पाकिस्तान द्वारा कबायली आक्रमण के समय भारत सरकार पाकिस्तान द्वारा यथास्थित समझौते का अतिक्रमण करके कश्मीर पर किये गए आक्रमण एवं कश्मीरी नागरिकों पर किये गए जुल्मों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ में गई थी।जहां भारत मे जम्मू कश्मीर के अधिमिलन का कोई प्रश्न नही उठाया गया था।भारत ने स्पष्ट कर दिया था भारत मे जम्मू कश्मीर का अधिमिलन पूर्णतः संवैधानिक एवं अविवादित है एवं उस ओर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ उचित मंच नही है।

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