मानव फाउंडेशन सहारानपुर जनपद में रोड-गॉड के रूप में पहचान बना रहा है।सन 2013 में पंजाब के बरनाला जनपद निवासी सरदार रेशम सिंह ने एक दुर्घटना से द्रवित होकर मानव वेल्फेयर सोसायटी की स्थापना की और अपने जन्मदिन पर दुर्घटना पीड़ितों के लिए 24 घण्टे उपलब्ध रहने वाली एम्बुलेंस सड़क पर उतार दी।रेशम सिंह अम्बाला रोड पर सरसावा के पास शाजहाँपुर में मानव पंजाबी ढाबा चलाते हैं।यह ढाबा मेन हाइवे पर स्थित है,रोड पर क्षमता से अधिक वाहनों का लोड है जबकि रोड की चौड़ाई कम होने के कारण यहां सड़क दुर्घटना सामान्य बात है।दुर्घटना में घायलों के समय पर इलाज न मिलने के कारण अनेक घायल घटनास्थल पर हो दम तोड़ देते हैं।सरकारी एम्बुलेंस सेवा 108 के देर से पहुंचने और पुलिसया कार्यवाही के कारण दुर्घटना पीड़ित सड़क पर ही दम तोड़ देते हैं।इसी बात ने निजी एम्बुलेंस सेवा के विचार को बल दिया।आस पास के लोगों और थाने में भी मानव एम्बुलेंस सेवा का फोन नम्बर उपलब्ध है।फोन और किसी दुर्घटना की जानकारी मिलते ही मानव फाउंडेशन के कार्यकर्ता दुर्घटना स्थल पर दौड़ पड़ते है और पीड़ित को अतिशीघ्र चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराते है।खास बात यह है कि बिना किसी सरकारी सहायता और चंदे की निजी खर्चे पर ही मानव फाउंडेशन निशुल्क एम्बुलेंस सेवा प्रदान कर रहा है।2013 में ही वाणिज्यकर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर सुनील सत्यम एक जांच के सिलसिले में मानव पंजाबी ढाबा पहुंचे तो वह रेशम सिंह के कार्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी इस कार्य से खुद को जोड़ लिया।सुनील सत्यम स्वयं भी कई बार घायलों को स्वयं की गाड़ी से हॉस्पिटल पहुंचा चुके हैं।हाल ही में रामपुर मनिहारान के सड़क दुर्घटना में घायल दो युवकों काका और अनुराग को उन्होंने 108 एम्बुलेंस और पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही अस्पताल पहुंचाया था।जिनमे से अनुराग के सिर में गम्भीर चोट आई थी।डाक्टरों के अनुसार यदि उसे सहायता मिलने में 10 मिनट की भी देरी हुई होती तो उसकी जान जा सकती थी।लगभग एक महीना मलाना के हॉस्पिटल में आईसीयू में रहने के बाद अनुराग की जान बचाई जा सकी।
मानव फाउंडेशन की इस एम्बुलेंस में सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद के लिए
बीस हजार रुपये हमेशा नकद रहता है ताकि अवश्यक्तानसुआर डॉक्टर को इलाज के लिए भुगतान किया जा सके।मरीज के परिजनों के आने पर यह धनराशि उनसे वापस मिल जाती है।कभी कभी कोई पीड़ित ज्यादा गरीब होता है तो उससे चिकित्सा पर खर्च हुआ पैसा वापस नही लिया जाता है।
मानव फाउंडेशन के सरदार रेशम सिंह और सुनील सत्यम का कहना है कि वह इस पवित्र कार्य का और ज्यादा क्षेत्र तक विस्तार करना चाहते हैं लेकिन इसके लिए अभी उनके पास पर्याप्त फंड नही है लेकिन वे इसके लिए इंतजाम करने के प्रयास में लगे हैं ताकि एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाकर अधिकतम दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाकर उनके परिवारों में खुशियां लौटाई जा सके।
पिछले लगभग 4 वर्षों में मानव एम्बुलेंस 750 से अधिक दुर्घटना पीड़ितों को मदद पहुंचा चुकी है।जिनमें से कुछ भाग्यशाली थे जिनकी जान बचाई जा सकी लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी मौके पर मौत हो गई ऑफ उनके शव मानव एम्बुलेंस ने उठाकर पोस्ट मार्टम गृह पर पहुंचाएं।मानवता एक इसकार्य के कारण ही फाउंडेशन ने एम्बुलेंस का तथा अपना नाम मानव ही रखा है। लोगों की निशुल्क एवं त्वरित मदद के लिए मानव फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं को लोग "रोड-गॉड" कहनें लगे हैं लेकिन रेशम सिंह और सुनील सत्यम ऐसा नही मानते हैं उनका कहना है कि "हम तो सिर्फ उस ईश्वर के नेक बन्दे" बनना चाहते हैं, लेकिन लोग क्या कहते और समझते है यह उनकी भलमनसाहत को प्रकट करता है।
रविवार, 24 सितंबर 2017
रोड-गॉड बना मानव फाउंडेशन
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