बुधवार, 17 जुलाई 2013

क्या गुर्जर एक जनजातीय धर्म है ?

          गुर्जर जनजाति की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक मत प्रचलित हैं , लेकिन पुरातात्विक साक्ष्यों की यदि बात करें तो इस जाति का प्रथम उल्लेख चालुक्य राजा पुल्केशिन द्वितीय के ऐहोल (कर्नाटक) अभिलेख में मिलता है. अनेक इतिहासकार इस जनजाति की उत्पत्ति अयोध्या के राजा भगवान् रामचंद्र के छोटे भाई लक्ष्मण से जोड़ते है. उनका मत है कि क्योंकि लक्ष्मण ने वनवास के समय राम एवं सीता के प्रतिहार ( द्वारपाल) की भूमिका निभाई थी अतः उनके वंशज ही गुर्जर प्रतिहार के नाम से जाने गये. बाद में प्रसिद्द कवि एवं इतिहासकार चंदरबरदाई ने गुर्जरों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अग्निकुंड उत्पत्ति के सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसके अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने असुरों से अपने यज्ञ की रक्षा के लिए आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया जिसकी यज्ञवेदी (अग्निकुंड) से चार योद्धा-प्रतिहार,परमार,चालुक्य एवं चौहान उत्पन्न हुए. पूर्व मध्यकाल एवं मध्यकाल गुर्जरों की शौर्य कथाओं का साक्षी है.भारत के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार प्रमुख रूप से गुर्जर थे, यह तथ्य इस बात से भी स्पष्ट है कि 1857 के विद्रोह का प्रभाव क्षेत्र वही भौगोलिक क्षेत्र है जहाँ गुर्जर जनजाति प्रमुख रूप से अधिवासित है. 1857 के इस जबरदस्त प्रतिरोध से अंग्रेज सरकार को इतना जबरदस्त आघात पहुंचा कि उसने इस बात के पुख्ता इंतज़ाम किये कि निकट भविष्य में इस प्रकार का विद्रोह न हो पाये. इसके लिए 3 प्रमुख उपाय किये गए
1. विद्रोह के दमन में सरकार का साथ देने वाली प्रमुख जातियों के सैनिकों को सुगठित करने के लिए उन जातियों के नाम पर सेना में रेजिमेंट स्थापित की गई ताकि भविष्य में होने वाले इस प्रकार के किसी विद्रोह को इन रेजिमेंट'स की सहायता से आसानी से दबाया जा सके.
2. प्रमुख शहरी क्षेत्रों में अंग्रेज अधिकारीयों एवं अन्य ब्रिटिश नागरिकों के सुरक्षित अधिवास के लिए ऊँची ऊँची चाहरदीवारी युक्त सिविल लाइंस का निर्माण किया गया.
3. 1872 क्रिमनल ट्राइब्स एक्ट पारित करके ब्रिटिश भारत सरकार ने विद्रोह करने वाली जातियों मुख्यतः गुर्जर को डिनोटिफ़ाइड़ जनजाति घोषित करके उनकी समस्त संपत्ति जब्त कर ली गई. जिसके कारण समस्त जाति को सुदूर जंगली क्षेत्रों में शरण लेनी पड़ी,जहाँ आजीविका के साधनों के अभाव में इन्होने विद्रोह को दबाने में सरकार का साथ देने वाली जातियों को लूटना शुरू कर दिया.

2 टिप्‍पणियां:

  1. Are Gurjars not descendants of Abhir (Ahir) tribe who are mentioned in story of Lord Krishna. I too am interested in such themes.

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  2. Nini जी गुर्जर जाति की उत्पत्ति की अनेक व्याख्याएँ विद्वानों ने की है..जिनमे लक्ष्मण के वंशज, विदेशी उत्पत्ति, आभीर (अहीर)उत्पत्ति,ब्राह्मण उत्पत्ति(राजा हरिश्चन्द्र की ब्राह्मण पत्नी से),अग्निकुल उत्पत्ति आदि सिद्धांत शामिल है..सभी आंशिक रूप से सत्य है क्योंकि सभी के पक्ष में अकाट्य तर्क है। सारांश रूप में कह सकते है की उक्त सभी तत्वों ने इस जाति की वृद्धि में योगदान किया

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