गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

भारत माता की जय

उत्तरं यत्समुद्रस्य,हिमाद्रेश्चैवदक्षिणं
वर्ष तद भारतं,नाम भारती यत्रसंतति।।
           अर्थात जो समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में स्थित है उस देश का नाम भारत है तथा उसकी संताने भारती कहलाती है।।
                        (विष्णु पुराण 2/3,1)

मौर्यकालीन (ईसा पूर्व 600 से 300) विष्णु पुराण में भारत भूमि का वर्णन करते हुए इसके वासियों को इसकी सन्तान "भारती" बताया गया। ईस्लाम का आगमन ही 7वीं सदी ई. में हुआ। यानि ईस्लाम के आगमन से लगभग 900 से 1200 वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने भारत भूमि को माता मानकर खुद को इसकी सन्तान के रूप में देखा।उससे भी पहले हड़प्पाई स्थलों से भी इसके प्रमाण मिलते है।
       फिर भी कुछ "ज्यादा समझदार" लोग कहते है कि "भारत माता की जय" संघ द्वारा थोपा जाने वाला नारा है।भारत के हिन्दू-मुस्लिमों के पूर्वज साझे है।जिन्होंने विष्णु पुराणादि लिखे वे मुस्लिमों के भी पूर्वज थे।किसी पराये घर की लड़की से शादी के बाद ऐसा नहीं होता है कि हम अपने माँ -बाप को छोड़कर सिर्फ लड़की के माँ बाप को ही अपना बताने लगे और अपने माँ बाप को पहचानना ही बन्द कर दें।
जिसको बोलना है बोले,नही बोलना है न बोले।संस्कार किसी पर जबरन नहीं थोपे जा सकते है।यह संस्कार और संस्कृति से सम्बंधित है।

"भारत माता की जय"

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