बलूचिस्तान, विश्व मानचित्र पर 30 .07 डिग्री उत्तर तथा 67.01 डिग्री पूर्व अक्षांशों के बीच अवस्थित है। इस देश का (जिस पर पाकिस्तान का अनधिकृत कब्जा है.) सबसे बड़ा और राजधानी नगर क्वेटा है। आजकल, पाकिस्तान द्वारा इसके नागरिकों पर किए जा रहे अत्याचारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। विश्व की महान हड़प्पा सभयता के आरंभिक बीज बलूचिस्तान के प्रसिद्ध मकरान तट तथा इसके पूर्वी क्षेत्र में ही पनपे थे। रहमान ढेरी तथा मेहरगढ़ इस क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता के प्रतिनिधि स्थल है।
बलूचिस्तान 4 रियासतों से मिलकर बना है। कलात,लासबेला, खरण तथा मकरान, यह 4 भारतीय देशी रियासतें ( Princely States) थी जिनका बाद में सिर्फ एक कलात में विलय हो गया। 1947 के भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम ने भारत का विभाजन भारत और पाकिस्तान नाम के दो अधिगणराज्यों के रूप में कर दिया, लेकिन देशी रियासतों के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया। यह देशी राज्यों के ऊपर छोड़ दिया गया कि उन्हें भारत में शामिल होना है या पाकिस्तान में अथवा स्वतंत्र रहना है। कलात के खान पर जिन्नाह ने दबाव डालना शुरू किया कि वह पाकिस्तान में शामिल होना स्वीकार करे। लेकिन खान ने जिन्नाह को कहा कि "वह अपनी परिषद के निर्णय से उन्हे अवगत करा देंगे, उन्हे पाकिस्तान में शामिल होने अथवा न होने पर पर विचार करने के लिए समय दिया जाए। " लेकिन खान के किसी जबाब की प्रतीक्षा किए बिना जिन्नाह ने 26 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना को बलूचिस्तान पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया। पाकिस्तान द्वारा 1 अप्रैल 1948 को कलात पर बलात कब्जा कर लिया गया । कलात के खान ने कभी भी "विलय पत्र" पर हस्ताक्षर नहीं किए।
असल में भारत में वहाबी विचारों से प्रभावित तत्कालीन ढाका के नाबाब सलीमुल्लाह और नाबाब आगा खान जैसे लोगों ने धर्म के आधार पर पाकिस्तान के विचार की नींव रखी जिसका प्रारम्भ में तो भारतीय मुस्लिम मानस ने समर्थन नहीं किया। लेकिन जैसे जैसे धर्म के आधार पर विभाजन की मांग ने ज़ोर पकड़ना शुरू किया अधिकाधिक संख्या में मुस्लिम पाकिस्तान के विचार की और आकर्षित होते चले गए। शिया खोजा पंथ से संबंध रखने वाले जिन्ना ने अपने राजनीतिक पुनर्वास के लिए पाकिस्तान के विचार का अधिग्रहण कर लिया आर 1947 आते आते उसने भारत में स्वयं को मुसलमानों के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित कर लिया।
भारत का विभाजन आनन फानन में धर्म के आधार पर कर दिया गया था लेकिन पाकिस्तान एक कृत्रिम देश के रूप में दुनिया में अस्तित्व में आया । पाकिस्तान असल में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय नेतृत्व की असफलता और कुछ समृद्ध मुस्लिम जातियों और मुस्लिम घरानों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की परिणति मात्र था। इसके अंदर अवस्थित पख्तून, बलोच और सिंधी कौमे पाकिस्तान निर्माण के पक्ष में कभी नहीं थी। भारत के सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खाँ ने कभी भी भारत विभाजन का समर्थन नहीं किया। विभाजन के बाद उन्होने गांधी जी पर विश्वास घात का आरोप लगाते हुए कहा था कि "गांधी जी ने हमें खूंखार भेड़ियों के आगे फेंक दिया है"
बलोच, सिंधी तथा पख्तूनों ने कभी भी खुद को पाकिस्तानी नहीं माना और वह 1947 से लेकर आज 70 वर्षों बाद भी अपनी-अपनी आज़ादी के लिए संघर्षरत हैं।
अपनी कौम की आज़ादी के लिए बलोच लोग लगातार संघर्षरत है। पाकिस्तानी फौज बलोच लोगों पर बेहिसाब जुल्म ढा रही है। 20 हजार से अधिक बलोच महिला एवं पुरुष गायब कर दिये गए जिन्हें मारकर समूहिक कब्रों में दफन कर दिया गया। पाकिस्तान की बलोचों पर ज़्यादतियाँ हिटलर की तानाशाहीपूर्ण दस्तानों को भी कम करार देती है।
पाकिस्तान के कुल भू भाग का 44% हिस्सा बलोचिस्तान के अंतर्गत आता है। लेकिन इसकी कुल जनसंख्या पाकिस्तानी जनसंख्या के 5% से भी कम है । बलूचिस्तान पेट्रोलियम,गैस, लोहा, तांबा,यूरेनियम , सोना चाँदी जैसे खनिजों में अत्यधिक समृद्ध है। इसकी समस्त खनिज संपदा पाकिस्तान द्वारा हड़प ली जाती है। इस प्रकार बलोचिस्तान के लोग एक अमीर क्षेत्र के गरीब लोग है। 1947 में भारत की आज़ादी के समय कलात के खाँ द्वारा भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समक्ष पश्चिम भारत के रूप में विलय का प्रस्ताव रखा था जिसे उन्होने अव्यवहारिक कहकर अस्वीकार कर दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्थायित्व में बलोचिस्तान की भूमिका
पश्चिम एवं मध्य एशिया निरंतर अशांत क्षेत्र के रूप में दुनिया के सामने है। पश्चिम एशिया तो दुनिया के सर्वाधिक अशांत देशों में शामिल रहा है। इस्राइल-अरब संघर्ष, ईरान-इराक और सीरिया में लगातार अशांति, सीरिया और इराक में विश्व के सर्वाधिक खूंखार आतंकी संगठन isis की गतिविधियां दुनिया के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में सामने आया है। जिसने कुख्यात उत्तरी कोरिया के साथ अनैतिक नाभिकीय गठजोड़ भी बना लिया है जो वैश्विक शांति एव स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा है। दुनिया के कथित मानवाधिकार संगठन भी बलोचिस्तान, सिंध और पख्तूनिस्तान में हो रहे मानवअधिकारों के हनन के विषय में आज तक मौन है।
आज़ाद बलोचिस्तान का निर्माण सिंध और पख्तूनिस्तान के अधिकारों को सुरक्षित करेगा और उनकी आज़ादी का मार्ग प्रशस्त करेगा। पाकिस्तान जो कि दुनिया का एक गैर-जिम्मेदार परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है और आए दिन भारत जैसे शांति प्रिय मुल्कों में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहता है, बलूचिस्तान के निर्माण से नियंत्रित होगा। दुनिया की लोकतान्त्रिक ताकतों को पाकिस्तान के ऊपर गुरिल्ला कार्यवाही करते हुए इसके समस्त परमाणु हथियार अपने कब्जे में लेकर नष्ट कर देने चाहिए ताकि पाकिस्तान मानवता और दुनिया को खतरे में न डाल सकें।
एक स्वतंत्र बलूचिस्तान का निर्माण, सामरिक रूप से भारत को मजबूत करेगा। बलूचिस्तान और सिंध का निर्माण पाकिस्तान को एक भू-अवरुद्ध देश के रूप मे बदल देगा, जिससे पाकिस्तान की नौ-सैनिक क्षमता तो नष्ट होगी ही बल्कि चीन के द्वारा भारत को समुद्री रास्ते से घेरने का अभियान भी नष्ट हो जाएगा। चीन द्वारा भारत को समुद्री रास्ते से घेरने के लिए बनाया जा रहा ग्वादर बन्दरगाह बलूचिस्तान के ही समुद्री तट पर अवस्थित है। बलूचिस्तान के निर्माण के बाद ग्वादर की सुविधाओं का उपयोग पश्चिम एवं मध्य एशिया के देशों से भारत के व्यापार को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकेगा। बलोचिस्तान के निर्माण के बाद भारत कैस्पियन सागर एवं मध्य एशिया के तेल एवं गैस क्षेत्रों तक आसान पहुँच बनाने के लिए "OK हाइवे' ( ओखा से लेकर कराची,कलात,क्वेटा, कंधार होते हुए ईरान के कोम तक , जिससे आगे तेहरान होते हुए बाकू के तेल एवं गैस क्षेत्रों तक आसान स्थलीय पहुँच बनाई जा सकती है।) का निर्माण कर सकता है। OK हाइवे मध्य एशिया एवं भारत के मध्य एक "पेट्रोलियम वाहिका" के रूप में काम करेगा जिसे हम "विकास का अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग" भी कह सकते हैं। यह हाइवे नवनिर्मित देश बलूचिस्तान, आतंक के चंगुल से नवस्वतन्त्र देश अफगानिस्तान, ईरान तथा भारत के विकास की महागाथा लिख सकता हैं । इसी मार्ग के साथ-साथ इसके समानान्तर ही भारत इसके मार्ग में आने वाले देशों अजरबैजान के बाकू तेल क्षेत्र से होकर ईरान के तेल क्षेत्रों से होते हुए अफगानिस्तान, बलोचिस्तान से होकर भारत के ओखा बन्दरगाह तक तेल एवं गैस-पाइप लाइन का भी निर्माण कर भविष्य के ऊर्जा संकट से निपटने का मार्ग ढूंढ सकता है।
@ सुनील सत्यम
बलूचिस्तान 4 रियासतों से मिलकर बना है। कलात,लासबेला, खरण तथा मकरान, यह 4 भारतीय देशी रियासतें ( Princely States) थी जिनका बाद में सिर्फ एक कलात में विलय हो गया। 1947 के भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम ने भारत का विभाजन भारत और पाकिस्तान नाम के दो अधिगणराज्यों के रूप में कर दिया, लेकिन देशी रियासतों के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया। यह देशी राज्यों के ऊपर छोड़ दिया गया कि उन्हें भारत में शामिल होना है या पाकिस्तान में अथवा स्वतंत्र रहना है। कलात के खान पर जिन्नाह ने दबाव डालना शुरू किया कि वह पाकिस्तान में शामिल होना स्वीकार करे। लेकिन खान ने जिन्नाह को कहा कि "वह अपनी परिषद के निर्णय से उन्हे अवगत करा देंगे, उन्हे पाकिस्तान में शामिल होने अथवा न होने पर पर विचार करने के लिए समय दिया जाए। " लेकिन खान के किसी जबाब की प्रतीक्षा किए बिना जिन्नाह ने 26 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना को बलूचिस्तान पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया। पाकिस्तान द्वारा 1 अप्रैल 1948 को कलात पर बलात कब्जा कर लिया गया । कलात के खान ने कभी भी "विलय पत्र" पर हस्ताक्षर नहीं किए।
असल में भारत में वहाबी विचारों से प्रभावित तत्कालीन ढाका के नाबाब सलीमुल्लाह और नाबाब आगा खान जैसे लोगों ने धर्म के आधार पर पाकिस्तान के विचार की नींव रखी जिसका प्रारम्भ में तो भारतीय मुस्लिम मानस ने समर्थन नहीं किया। लेकिन जैसे जैसे धर्म के आधार पर विभाजन की मांग ने ज़ोर पकड़ना शुरू किया अधिकाधिक संख्या में मुस्लिम पाकिस्तान के विचार की और आकर्षित होते चले गए। शिया खोजा पंथ से संबंध रखने वाले जिन्ना ने अपने राजनीतिक पुनर्वास के लिए पाकिस्तान के विचार का अधिग्रहण कर लिया आर 1947 आते आते उसने भारत में स्वयं को मुसलमानों के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित कर लिया।
भारत का विभाजन आनन फानन में धर्म के आधार पर कर दिया गया था लेकिन पाकिस्तान एक कृत्रिम देश के रूप में दुनिया में अस्तित्व में आया । पाकिस्तान असल में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय नेतृत्व की असफलता और कुछ समृद्ध मुस्लिम जातियों और मुस्लिम घरानों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की परिणति मात्र था। इसके अंदर अवस्थित पख्तून, बलोच और सिंधी कौमे पाकिस्तान निर्माण के पक्ष में कभी नहीं थी। भारत के सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खाँ ने कभी भी भारत विभाजन का समर्थन नहीं किया। विभाजन के बाद उन्होने गांधी जी पर विश्वास घात का आरोप लगाते हुए कहा था कि "गांधी जी ने हमें खूंखार भेड़ियों के आगे फेंक दिया है"
बलोच, सिंधी तथा पख्तूनों ने कभी भी खुद को पाकिस्तानी नहीं माना और वह 1947 से लेकर आज 70 वर्षों बाद भी अपनी-अपनी आज़ादी के लिए संघर्षरत हैं।
अपनी कौम की आज़ादी के लिए बलोच लोग लगातार संघर्षरत है। पाकिस्तानी फौज बलोच लोगों पर बेहिसाब जुल्म ढा रही है। 20 हजार से अधिक बलोच महिला एवं पुरुष गायब कर दिये गए जिन्हें मारकर समूहिक कब्रों में दफन कर दिया गया। पाकिस्तान की बलोचों पर ज़्यादतियाँ हिटलर की तानाशाहीपूर्ण दस्तानों को भी कम करार देती है।
पाकिस्तान के कुल भू भाग का 44% हिस्सा बलोचिस्तान के अंतर्गत आता है। लेकिन इसकी कुल जनसंख्या पाकिस्तानी जनसंख्या के 5% से भी कम है । बलूचिस्तान पेट्रोलियम,गैस, लोहा, तांबा,यूरेनियम , सोना चाँदी जैसे खनिजों में अत्यधिक समृद्ध है। इसकी समस्त खनिज संपदा पाकिस्तान द्वारा हड़प ली जाती है। इस प्रकार बलोचिस्तान के लोग एक अमीर क्षेत्र के गरीब लोग है। 1947 में भारत की आज़ादी के समय कलात के खाँ द्वारा भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समक्ष पश्चिम भारत के रूप में विलय का प्रस्ताव रखा था जिसे उन्होने अव्यवहारिक कहकर अस्वीकार कर दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्थायित्व में बलोचिस्तान की भूमिका
पश्चिम एवं मध्य एशिया निरंतर अशांत क्षेत्र के रूप में दुनिया के सामने है। पश्चिम एशिया तो दुनिया के सर्वाधिक अशांत देशों में शामिल रहा है। इस्राइल-अरब संघर्ष, ईरान-इराक और सीरिया में लगातार अशांति, सीरिया और इराक में विश्व के सर्वाधिक खूंखार आतंकी संगठन isis की गतिविधियां दुनिया के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में सामने आया है। जिसने कुख्यात उत्तरी कोरिया के साथ अनैतिक नाभिकीय गठजोड़ भी बना लिया है जो वैश्विक शांति एव स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा है। दुनिया के कथित मानवाधिकार संगठन भी बलोचिस्तान, सिंध और पख्तूनिस्तान में हो रहे मानवअधिकारों के हनन के विषय में आज तक मौन है।
आज़ाद बलोचिस्तान का निर्माण सिंध और पख्तूनिस्तान के अधिकारों को सुरक्षित करेगा और उनकी आज़ादी का मार्ग प्रशस्त करेगा। पाकिस्तान जो कि दुनिया का एक गैर-जिम्मेदार परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है और आए दिन भारत जैसे शांति प्रिय मुल्कों में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहता है, बलूचिस्तान के निर्माण से नियंत्रित होगा। दुनिया की लोकतान्त्रिक ताकतों को पाकिस्तान के ऊपर गुरिल्ला कार्यवाही करते हुए इसके समस्त परमाणु हथियार अपने कब्जे में लेकर नष्ट कर देने चाहिए ताकि पाकिस्तान मानवता और दुनिया को खतरे में न डाल सकें।
एक स्वतंत्र बलूचिस्तान का निर्माण, सामरिक रूप से भारत को मजबूत करेगा। बलूचिस्तान और सिंध का निर्माण पाकिस्तान को एक भू-अवरुद्ध देश के रूप मे बदल देगा, जिससे पाकिस्तान की नौ-सैनिक क्षमता तो नष्ट होगी ही बल्कि चीन के द्वारा भारत को समुद्री रास्ते से घेरने का अभियान भी नष्ट हो जाएगा। चीन द्वारा भारत को समुद्री रास्ते से घेरने के लिए बनाया जा रहा ग्वादर बन्दरगाह बलूचिस्तान के ही समुद्री तट पर अवस्थित है। बलूचिस्तान के निर्माण के बाद ग्वादर की सुविधाओं का उपयोग पश्चिम एवं मध्य एशिया के देशों से भारत के व्यापार को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकेगा। बलोचिस्तान के निर्माण के बाद भारत कैस्पियन सागर एवं मध्य एशिया के तेल एवं गैस क्षेत्रों तक आसान पहुँच बनाने के लिए "OK हाइवे' ( ओखा से लेकर कराची,कलात,क्वेटा, कंधार होते हुए ईरान के कोम तक , जिससे आगे तेहरान होते हुए बाकू के तेल एवं गैस क्षेत्रों तक आसान स्थलीय पहुँच बनाई जा सकती है।) का निर्माण कर सकता है। OK हाइवे मध्य एशिया एवं भारत के मध्य एक "पेट्रोलियम वाहिका" के रूप में काम करेगा जिसे हम "विकास का अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग" भी कह सकते हैं। यह हाइवे नवनिर्मित देश बलूचिस्तान, आतंक के चंगुल से नवस्वतन्त्र देश अफगानिस्तान, ईरान तथा भारत के विकास की महागाथा लिख सकता हैं । इसी मार्ग के साथ-साथ इसके समानान्तर ही भारत इसके मार्ग में आने वाले देशों अजरबैजान के बाकू तेल क्षेत्र से होकर ईरान के तेल क्षेत्रों से होते हुए अफगानिस्तान, बलोचिस्तान से होकर भारत के ओखा बन्दरगाह तक तेल एवं गैस-पाइप लाइन का भी निर्माण कर भविष्य के ऊर्जा संकट से निपटने का मार्ग ढूंढ सकता है।
@ सुनील सत्यम
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